
शहीदों के नाम पर लूट, आखिर कब तक???
मुंबई के पॉश इलाके कोलाबा में आदर्श हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसायटी की इमारत
को लेकर इस समय सियासी माहौल गरमाया हुआ है। करगिल के शहीदों के परिजनों
के नाम पर औने-पौने दाम पर ली गई जमीन पर बनी इमारत के फ्लैट सेना के आला
अफसरों और बड़े-बड़े राजनेताओं ने ‘हड़प’ लिए हैं।
मामला उस वक्त और गंभीर हो गया जब सेना के जनरल रहे एन सी विज और दीपक
कपूर के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के रिश्तेदारों
के नाम इन फ्लैटों के आवंटियों के तौर आए।
करगिल के शहीदों के लिए मंगाए गए तबूतों में दलाली का मामला हो या आदर्श
सोसायटी घोटाला, या फिर सैनिकों को दिए जाने वाले राशन में गड़बड़ी की
घटना, हर बार शक की सूई सेना के अफसरों और राजनेताओं पर घूमती रही है। देश
की आन-बान-शान के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने वाले सैनिकों को आखिर कब
तक इस तरह ‘धोखा’ दिया जाएगा।
सरकार हर बार शहीदों के घरवालों को मरहम के तौर पर कई घोषणाएं करती है
लेकिन इन घोषणाओं का जमीनी स्तर पर कितना पालन होता है। इसकी पड़ताल भी
की जानी चाहिए। सैनिकों की सहायता के नाम पर लाखों-करोड़ो रुपये
वारे-न्यारे होते हैं। चूंकि ऐसे मामलों के सेना अफसर फंसते हैं तो उनके
खिलाफ कार्रवाई की एक अलग प्रक्रिया (कोर्ट मार्शल) है लेकिन राजनेता हर
बार ऐसे मामलों से साफ बच निकलते हैं।
इन घटनाओं से ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार हमारी नियति बन चुका है और इससे
बचने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा। लंबी और जटिल कानूनी प्रक्रिया की वजह
से भ्रष्टाचार के दानव से निपटना मुश्किल दिखाई पड़ता है।
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